गुजारिश आज आपसे है ऐ सनमदे सको तो देना खुशी न देना गमकि गम का समंदर होता बहुत गहरा हैमाझी तो छोडिये साहिल तक डूब जाता है कि गम-ऐ-उल्फत में हम ना जी सकेंगेतेरी तनहाई में जाम भी ना पी सकेंगेकि पैमाना भी जब उठाते हैंकमबख्त उसमें भी तेरा अक्स नज़र आता है सोचते हैं …