This poem was specifically written for a very cute and fast friend of mine 🙂_________________________________________जान-ऐ-बहार के आते हीखिल पड़े हैं गुल-ऐ-गुलज़ारक्या कहेंहाल-ऐ-दिल काकि बेसब्र हुआ हर बारना चाह कर भी चाहा उनकोजिया में जानने को उनकोना जा सके कहीं दूर उनसेसमां यूँ बंधा उनके आगोश में