Poem - Urdu दर्द-ऐ-दिल By Mayank Trivedi on Monday, August 25, 2008 कि अभी तो हुई शुरू बात दिल कि हैऔर अभी तुम जाते होकि अभी तो नासूर–ऐ–दिल को छेड़ा हैऔर तुम जाते होकि अभी तो खून–ऐ–जिगर बाकी हैऔर तुम जाते हो ऐ दोस्त जुल्म यूँ न करन हो गर हिम्मत–ऐ–नज़र छेड के दास्ताँ–ऐ–जिगर हमें यूँ बेजार न कर Previous Post Next Post Related Posts Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry Sarcasm क्या कहें और कैसे कहें Abstract Poems Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry अभी कुछ दिन ही तो बीते हैं Contemporary Poetry Poem - Urdu Urdu Poems रूह के ज़ख़्म