खड़े हैं सिफर सी जिंदगी के मोड़ परआशय विहीन राह कि खोज परदेखते कतरे ज़िन्दगी के बिखरतेमानो है कोई कश्ती तूफ़ान में डूबते उतरते है एक इशारा ये खुदा काकि ना समझ पाएंगे क्यूँ हुआ इतना फख्रहै फ़िर भी दिल में ये जज्बाकि मिलेगी राह एक आगाज़ को अपनी मुस्कराहट से क्या तुम दिला सकते …