Month: June 2009

खड़े सिफर की कगार पर

खड़े हैं सिफर सी जिंदगी के मोड़ परआशय विहीन राह कि खोज परदेखते कतरे ज़िन्दगी के बिखरतेमानो है कोई कश्ती तूफ़ान में डूबते उतरते है एक इशारा ये खुदा काकि ना समझ पाएंगे क्यूँ हुआ इतना फख्रहै फ़िर भी दिल में ये जज्बाकि मिलेगी राह एक आगाज़ को अपनी मुस्कराहट से क्या तुम दिला सकते …