Poem - Urdu मेरा अक्स By Mayank Trivedi on Wednesday, April 7, 2010 गर खुदा ने कभी मुझसे कहा होता… रुखसत हो तू हो फारिग अपनी कलम सेमैं कहता ऐ-खुदाये कलम है मेरी ज़िन्दगी मेरी तमन्नाकि ना कर इसको जुदा तू मुझसेन कर मेरे इश्क को रुसवागर कहीं मैं हूँ कगार परतो यही है वोह मेरा अक्स…. Previous Post Next Post Related Posts Abstract Poems Poem - Urdu Poems Poems - Hindi Poetry ज़िंदगी की रवानी Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry Sarcasm क्या कहें और कैसे कहें Abstract Poems Contemporary Poetry Poem - Urdu Poems Poetry अभी कुछ दिन ही तो बीते हैं
Comments
Great work Mayank bhai…
Wah! Wah! kya khoob…..dil kush ho gaya