गर तनहाई में खुदा का दीदार मयस्सर ना होगर जुदाई में मोहब्बत का दर्द शामिल ना होगर झुकी इन पलकों में हया का डेरा न होक्या कहूँ में ऐ मेरे मौला गर ज़िन्दगी में जूनून का असर ना होगर जुल्फों में उनकी मेरा आसरा न होगर नज़रों में उनकी मेरी तस्वीर ना होकि ये मोहब्बत …