दास्तान आंसुओं की

आंसुओं की दास्ताँ न पूछ मुझसे
कि आंसू तो यूँही निकल पड़ते हैं
थामना भी चाहूँ इन्हें
मगर तेरी याद में बह निकलते हैं

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *