Month: February 2011

जिंदगी अक्स में गर गुजरती

गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजागर कुछ गुनगुनाना है तो जिंदगी के नगमें गुनगुनाकि ये सफर नहीं किसी सिफार कि कगार काजानिब ये है अक्स तेरी ही शक्शियत काजिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़रकि राह में थक कर मंजीलें नहीं मिलतीसमझ बस इतना लीजे ऐ खुदा के बंदेकि यादों …