खुशी ना ढूंढ तू अपनी किसी तमन्ना में
कि दर्द ही मिलता है इस गली जाने से
ना कर तू रोशनाई को इस कदर परेशाँ
कि हो जाए स्याह ये खून तेरे जिगर का
खुशी ढूंढनी है गर तुझे कहीं ऐ बंदे
तो जा तू खुदा के घर उसकी इबादत में
खुशी गर तुझे मिलनी है कहीं ऐ बंदे
तो जा तो उस परवरदिगार के आलम में
ना ढूंढ खुशी किसी और के दमन में
कि छुपी है ये तेरे अपने ही आँगन में
उठ, जाग और बढ़ा अपने कदम
कर इबादत खुदा की, पा उसकी नेमत
कि दर्द ही मिलता है इस गली जाने से
ना कर तू रोशनाई को इस कदर परेशाँ
कि हो जाए स्याह ये खून तेरे जिगर का
खुशी ढूंढनी है गर तुझे कहीं ऐ बंदे
तो जा तू खुदा के घर उसकी इबादत में
खुशी गर तुझे मिलनी है कहीं ऐ बंदे
तो जा तो उस परवरदिगार के आलम में
ना ढूंढ खुशी किसी और के दमन में
कि छुपी है ये तेरे अपने ही आँगन में
उठ, जाग और बढ़ा अपने कदम
कर इबादत खुदा की, पा उसकी नेमत