Month: May 2011

आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा ख्वाबों को भी कुछ इस कदर सजानाकी आँखों की राह ना टूटे दिल का अफसाना  ऐ राहगुजर, राहगीर में ना ढूंढ हमसफ़रकि राह से यूँ  बेगार बेवजह ना गुजरजीना मरना तो इस कायनात का खेल हैइसे तू अपनी आह से …

घरोंदा

रे मनवा न सुन तू इस जग कीबना घरोंदा बुन इन तिनको कोनहीं व्यर्थ होगा परिश्रम तेरा नहीं कोई इसमें समय का फेरा प्रेम न तू अपने स्वप्न से करकि स्वप्न तो आते हैं अंधियारे मेंरे  मनवा बना घरोंदा तू तिनकों सेऔर पा फल तू अपने परिश्रम से भटक न होकर निराश हार सेकि पथरीला …