अश्रुधारा

जब ह्रदय में हो पीड़ा
जब मन में हो घृणा
दिखे  हर और जब अंधियारा
बहती है नैनों से अश्रुधारा

नहीं हो काबू जब क्रोध पर
कठिन लगे जब राह हर
कठोर हो अपने जैसे है धरा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

विचारों का हो जब अतिक्रमण
करे जब मष्तिष्क अत्यधिक भ्रमण
ना दिखे जीवन में कोई और चारा
बहती है नैनो से अश्रुधारा

बहती बहुत है नैनो से अश्रुधारा
कि ना लगे जग न्यारा
ना लगे जीवन फिर प्यारा
ना रहे कोई दुलारा

अश्रुधारा को तुम रोक सकोगे
जीवन  को भी भोग सकोगे
अगर त्याग कर सको आशाएं
अगर दूर कर सको ये बाधाएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *