हाल-ऐ-दिल

हाल-ऐ-दिल कुछ यूँ बेसब्र हुआ
कि तन्हाई में कुछ यूँ बेजार हुआ
लौट आई कुछ यादें पुरानी
याद आई वो देफवाई तुम्हारी
होकर रह गई है सिफर सी जिंदगी
नहीं आसाँ इश्क की बंदगी
भूलना चाह कर भी भूल ना पाए
कुछ यूँ कौत के आये मिहब्बत के साये
तिस सी उभर आयी कुछ यूँ सर्द
महसूस हुआ कुछ मुझे जुदाई का दर्द
एहसास है हमें तुम्हे खोने का
दर्द है हमें तुमसे ता जिंदगी जुदा रहने का
चाह कर भी तुम्हें पा ना सकेंगे
तुम खुश रही यही खुदा से दुआ करेंगे

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