Month: September 2011

अभिलाषा

का कहूँ छवि तिहारी,  जित देखूं उत् दीखेई जो मैं सोचूं नैना बंद करके,  मन वर जोत जले निद्रागोश में, स्वप्न में भी,चहुँ और जो दीप जलेना दिन में चेइना न रात में चेइनाबस चहुँ और तू ही तू दीखेईबस कर नखरा और न कर ठिठोलीआ बना मेरे अंगना कि तू रंगोलीभर तू रंग मेरे …