Month: February 2012

नादाँ दिल

बेज़ुबां दिल को कैसे समझाएं कि ये बेपरवाह बन इश्क कर बैठाअदा-ऐ-हुस्न कैसे समझाएँ इसे कि  ये तो उसी हुस्न पर फ़िदा है ना  इसे ज़माने कि फिक्र है अबना कोई शिकवा शिकायत हुस्न सेमशरूफ है ये एहसास-ऐ-मोहब्बत में मगरूर  है अपने कलाम-ऐ-इश्क पर क्या खबर इसे कि हुस्न ठहरा  हुस्नज़माना है उस हुस्न का …

लोकतंत्र का निर्वाचन

है धूम चहुँ ओर जिसकीहै जिसका चर्चा हर दिशा मेंलोकतंत्र में है जो महत्वपूर्णआया उस निर्वाचन का समय पांच वर्षों में आता है एक बारऔर जिससे चयनित होते हैंतंत्र पर राज करने वाले नेताजनता का पैसा खाने वाले नेता आते हैं उम्मीदवार बन ये नेताकरते हैं हमको प्रणाम और  नमस्कारपर चयनित नेता गायब होते हैंगधे …

जीवनपथ

जीवनपथ पर चलता हूँ मैंलिए हाथ में विष का प्यालानहीं ज्ञात है अभी मुझेअपने ही जीवन की माला प्रेम प्रतिज्ञा से नहीं हुई हैप्रज्वलित मेरे मन की दीपमालाप्रतिदिन अखंड रूप से जलती हैह्रदय में आवेश की प्रचंड ज्वाला जीवनपथ पर हूँ अग्रसर लिए हाथ में विष का प्यालाशिव सी मूरत ना बन जाऊंकहीं  पी कर …

चंद जवाब, महफ़िल में उठे सवालों के

चंद शेर जो महफ़िल में कहे और चंद जो रह गए अनकहे, उनको पेश करता हूँ आपकी नज़र-ऐ-इनायत के लिए खामोश जुबां से जो उनका नाम लेते हो अपने होंठों के चिलमन से उसे छुपाए जाते होगर ये जज्बा-ऐ-दिल निगाहों से बयाँ करतेतो हया के नूर से सजे एक चाँद लगते______________________________________ उनके आने की आहट …

कतऐ तालुक

खबर की खबर आई कुछ ऐसी खबरपरेशाँ हुए हम ना हुई तुमको ये खबरसोच कर तन्हा होगी तुम्हारी नज़रखामोश रहे हम यूँ शाम-ओ-सहर ना इल्म था हमें कि ये खामोशीदफ्न कर देगी हमारी चाहतफिकरे कसेंगे, कसीदे भी कहेंगेजहाँ वाले हमे बेगैरत भी कहेंगे सह गए हम हर सितम यह सोचकरकि बेखयाली में भी तुझसे शिकवा …

प्रकृति

नीले अम्बर में चहकते पाँखीझील की गहराइयों में तिरती मछलियाँघने वन में विचरते ये जीव जानवर हैं स्वतंत्रता का एक जीवित स्वरुप  भोर भये पूरब से उगता सूरजरात चाँदनी बिखराता चन्द्रमाबलखाती बेलों पर लटकते फूलों की महकहवा के झोंकों में इठलाती पंखुडियाँप्रकृति का हर प्रकार, हर आकारसमय की धारा में गतिमान हैं प्रत्यक्ष रूप से …

चुनिन्दा दर्द भरे शेर

तूफां में कश्ती छोड़ किनारों का आसरा ना ढूंढ लड़ मजधार के तूफानों से कश्ती किनारे पर मोड _______________________________________ साथ गर तू देगा खुदका तो खुदा तेरे साथ होगा मजधार के भंवर से गर लड़ेगा तो किनारा तेरे पास होगा________________________________________ ऐसे अल्फाज़ ना कहो कि अभी मैं जिंदा हूँ तेरे दिल में बसने का ख्वाहिशमंद खुदा का …

चंद अल्फाज़ गम-ऐ-बेखुदी के

उनकी मंजिलों में अपनी राहें ढूंढता फिरता हूँ एक फकीर हूँ मैं चिरागों में रौशनी ढूँढता हूँ गर मेरे रकीब से पूछोगे कि किस राह गुज़रा हूँ मैं तो पाओगे की अपनी ही कब्र में बसेरा ढूँढता हूँ मैं___________________________________ तवज्जो ना कर किसी की किनारे बैठ करगर हिम्मत है तो मजधार में कश्ती उतार किनारे …

खुदाया

तन्हाईयों के दायरे मेंजब हुआ खुदा से दीदार हमनें पूछा क्यों खुदायाक्या सोच तुने बनाया जहाँगर बनाया ये जहाँतो  क्या सोच तुनेइंसान को मोहब्बत करना सिखायाक्या सोच कर तुनेइस इंसान का दिल बनायागर इसे जज्बातों में घेरना ही थातो क्या सोच तुने इस इंसान का दिमाग सजायातन्हाईयों के दायरे मेंजब हुआ खुदा से दीदारतो  खुदा …