खुदाया

तन्हाईयों के दायरे में
जब हुआ खुदा से दीदार
हमनें पूछा क्यों खुदाया
क्या सोच तुने बनाया जहाँ
गर बनाया ये जहाँ
तो  क्या सोच तुने
इंसान को मोहब्बत करना सिखाया
क्या सोच कर तुने
इस इंसान का दिल बनाया
गर इसे जज्बातों में घेरना ही था
तो क्या सोच तुने
इस इंसान का दिमाग सजाया
तन्हाईयों के दायरे में
जब हुआ खुदा से दीदार
तो  खुदा बोला कुछ ऐसे
कि सुन ऐ आदम जात
मैंने तो बनाया था जहाँ
सोच कर की सब साथ रहेंगे
मैंने बनाया था इंसान
अपनी एक हँसीं सोच के चलते
क्या जानता था की ये नादान
कर बैठेगा एक नादानी
दिमाग को छोड़कर ये
लगा बैठेगा दिल्लगी
मोहब्बत कर ही मैंने
इंसान को बनाया था
क्या जानता था की ये इंसान
बदजात मोहब्बत कर बैठेगा!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *