खबर की खबर आई कुछ ऐसी खबर
परेशाँ हुए हम ना हुई तुमको ये खबर
सोच कर तन्हा होगी तुम्हारी नज़र
खामोश रहे हम यूँ शाम-ओ-सहर
परेशाँ हुए हम ना हुई तुमको ये खबर
सोच कर तन्हा होगी तुम्हारी नज़र
खामोश रहे हम यूँ शाम-ओ-सहर
ना इल्म था हमें कि ये खामोशी
दफ्न कर देगी हमारी चाहत
फिकरे कसेंगे, कसीदे भी कहेंगे
जहाँ वाले हमे बेगैरत भी कहेंगे
सह गए हम हर सितम यह सोचकर
कि बेखयाली में भी तुझसे शिकवा ना करेंगे
क्या इल्म था हमें कि अब ता उम्र
तेरी नज़रों में हम बेवफा रहेंगे