सैनिक की प्रार्थना

देश  का मैं हूँ एक नौजवान
रहता हूँ सदैव सावधान
चैन से तुम घर अपने सो सको
इसकर  देता हूँ मैं बलिदान

ना देना मुझे तुम कोई सम्मान
ना देना मेरी चिता पर कोई ज्ञान
परिजन मेरे ना पीड़ित हों कभी
बस देना तुम इतना सा ध्यान

मैं तो चला जाऊँगा एक दिन
मेरा अंत तो निश्चित है
पर मेरा परिवार हो तुम
रखना अपने धर्म का बस ध्यान

माँ मेरी जिसने मुझे जना है
पिता जिसने मुझे लहू दिया है
भई बांधव जो मेरे अपने हैं
उनकी पीड़ा मुझे असहनीय है

जाता हूँ मैं रणक्षेत्र में
इनको सुपुर्द तुम्हारे कर 
ये बस प्रार्थना है मेरी
इनको ना बलि चढ़ाना तुम||

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