Poem - Hindi जीवन नवरस By Mayank Trivedi on Thursday, April 19, 2012 जीवन नवरस को गूंथ कविता का एक प्रयास – रणक्षेत्र में जा वीर बना मैं देखा द्वेष का रूप वीभत्समौत का देख रोद्र तांडवपीड़ा से हुआ ह्रदय करुणहास्य से होकर विमुखभक्ति का अपनाया रुखअदभुत अनुभूति हुई तबश्रृंगार से मिला वात्सल्य सुख जब Previous Post Next Post Related Posts Poem - Hindi Poems - Hindi कभी आइये मेरे गाँव में Hindi-Bhajan Poem - Hindi Poems - Hindi इष्ट को नमन Contemporary Poetry Poem - Hindi Poems Poems - Hindi Poetry कोमलाँगी