Month: April 2012

आसिम-ऐ-इख्लास

इश्क-ऐ-वफ़ा से वो रूबरू ना हुए कभीऔर हमसे माने वफ़ा के पूछे जाते हैंरूह से अपनी किसी को चाह ना सके वोऔर हमसे मोहब्बत के माने पूछे जाते हैं एतबार वो खुद का ना कर सके ता उम्रऔर हमें माने एतबार के समझाए जाते हैंतसव्वुर-ऐ-दर्द हमारा ना सुन सके कभीऔर हमसे ही अपनी तकलीफ बयाँ …

तेरी बद्दुआ और मेरी दुआ

तुम कहे जाते हो हमें दगाबाज़तुम कहे जाते हो हमें बेदर्दकहाँ का ये इन्साफ है कहो ज़राकि तुम्हारी नज़र का ना हो ये धोखा कहा गर तुमने हमें बेवफातो सिला है ये तुम्हारी ही मोहब्बत काकहा गर तुमने हमें बेगैरततो जान-ऐ-हुस्ना है ये तेरी ही बद्दुआ जाना है गर तुझे अपनी मंजिल की औरतो ले …