Month: May 2012

मोहब्बत का अफसाना

जिंदगी से दूर जिंदगी को रुखसत करने चला हूँ मैं आज तेरी दुनिया से दूर चला हूँ मैं खुश रहे तू, आबाद रहे तेरी दुनिया अब और नहीं चाहत, तुझसे जुदा हो चला हूँ मैं चाह कर भी तेरे साथ ना चल सका ख्वाहिश थी पर तुझे ना पा सका कोशिश थी मेरी कि हासिल …

प्यार की सच्चाई

है मेरे प्यार की सच्चाई यही जैसे मैं गम में हंसता रहूँ मुझे वो गम भी अज़ीज़ है  कि गम में उनकी याद है  वो याद मुझे अज़ीज़ है  कि याद में उनका अक्स है गर खुदा ने किस्मत में यही लिखा है  तो मैं मोहब्बत का परवाना बन जीता रहूँ गर जिंदगी में यही …

श्वेत वर्ण – शान्ति या शोक

श्वेत वर्ण से ढँकी ये वादी, श्वेत तो  शान्ति का है प्रतीक  आज ना जाने ये श्वेत दे रहा क्यों शोक सन्देश लहुलुहान है ये धरती आज, सहमा है यहाँ जन जन  सुनाई देती है हर ओर सिर्फ एक ही चिंघाड – रण रण रण  देखता हूँ जब में भारत के मुकुट का ये हाल …

इबादत

दिल में ले कर फ़रियाद हम तेरी राह पर निकल पड़े हैं खुदा की दर पर उसके टेक के माथा इबादत में मांगेंगे तेरी खुशियाँ दुआ है अब तो ये मौला से कि मान ले अब वो आरज़ू तेरी बहुत जद्दोजहद की तुने जिंदगी में  अब तो अमन की जिंदगी दे मौला तुझको फ़रियाद तेरी …

ख्वाब

आँखों में आज जो ख्वाब हैं होठों पे आज  वो राग है सच जो हुए सपने मेरे जहाँ मेरा रंगीन है मिल ही गई मंजिल मेरी बाँहों में है जन्नत तेरी ओ साजना, ओ मेरे सजना खिल सी गयी जिंदगी की कली गुजर गए वो लम्हात भी सच जो हुए सपने मेरे मिल ही गई …

शत्रु का उन्माद

हिमालय की चोटी से शत्रु ने ललकारा हैआज बता दो बल कितना है भारत माँ के वीरों मेंसीमा लांघ शत्रु चढ़ आया आज तुम्हारे द्वारेमचा रहा इस धरती पर वो उद्दंड उत्पात रणक्षेत्र में हुआ कोलाहल जागो भारत के वीरोंजाग अपनी निद्रा से भारत माँ की पुकार सुनोलगा हुंकार रण की शत्रु ने तुम्हें ललकारा …

उठो भारत के निर्लज्ज कपूतों

पावन धरा पर राज करते कपूतोंअब तो निद्रगोश से निकलोभटक रहा राष्ट्र में हर पथिकअब तो अपने लोभ त्यागोउठो भारत माता के निर्लज्ज कपूतोंकुछ तो संकोच करोराष्ट्र निर्माण कार्य मेंकुछ तो नव प्राण भरोनव निर्माण कर इस धरा परजन जीवन का मार्ग दर्शन करोउठो धरा के निर्लज्ज कपूतोंकुछ तो जीवन में संकोच करोभोर भई नव …

हृद्याग्नी

जीवन में झेले दुःख अत्यंत सुख की नहीं मुझे कोई आशा अश्रुओं से में अपने  हृदयाग्नी भडकाता हूँ कुछ ऐसे ही मैं इस संसार में  अपना जीवन यापन करता हूँ ना ही अब कोई आस है ना ही निरास जीवन से कोई भय निर्मोही निरंकार हो चला मैं  अपने ही ह्रदय को आहात करता हूँ …

जो तुम संग मेरे आये

जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने कुछ गीत सुनाये मद्धम से पुरवाई में महका मेरा आँगन जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने यूँ गीत सुनाये सुबह के धुंधलके में, पंछियों ने पंख फडफडाये जिस पल नैन मैंने खोले, आमने तुमको पाया निंदिया कि गोद में भी, सपनों में तुम्हे पाया सजी संवारी दुल्हन …