मधुशाला में पाठशाला

घर से निकला था मैं जाने तो पाठशाला
पर रास्ते में ही मिल गई मुझे मधुशाला
मधुशाला में जा बैठा मैं भर अपना प्याला
तभी देखी शिव पर चढती एक माला
देख शिव की प्रतिमा मधुशाला में
खोजने चला मैं सत्य की राह में
पहुंचा फिर मैं मधुशाला
बहुत खोजा सत्य पर मुझे ना मिला
फिर बैठ मधुशाला में भर अपना प्याला
जो घूँट लगाया लेकर शिव की मंत्रमाला
अनुभव वो था अपने में ही निराला
मिल गए बहुत से शिक्षक बन गयी पाठशाला
जीन सत्य की खोज में चला था पाठशाला
दो घूंट मार मधुशाला ही बन गई पाठशाला
जो ज्ञान मिला संग बैठे हर दुखियारे से
जो चंद मिले संग बैठे कुछ कवियों से
जो अर्पित किया मैंने उनके गुणसागर को
सब धन्य हो चले अपने अपने घर को
बैठा था मधुहाला में अकेला
देख रहा था मदिरा का अब खेला
अनजान लोग जो मिले थे इस मधुशाला में
ज्ञान ऐसा दे गए तो ना मिलता किसी पाठशाला में

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *