जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने कुछ गीत सुनाये
मद्धम से पुरवाई में महका मेरा आँगन
जो तुम संग मेरे आये, जीवन ने यूँ गीत सुनाये
सुबह के धुंधलके में, पंछियों ने पंख फडफडाये
जिस पल नैन मैंने खोले, आमने तुमको पाया
निंदिया कि गोद में भी, सपनों में तुम्हे पाया
सजी संवारी दुल्हन सी, तेरा रूप सामने आया
जीवन में जो आये तुम, प्रेम का राग सुहाया
निशा के दामन में, जब तारे में देखता हूँ
लगता है मानो, उनमें भी तुझे ढूंढता हूँ
हर पल मन ये मेरा, तेरे ही गीत गाता है
जीवन में जो आये तुम, ना और कुछ मुझे सुहाए
सावन की हरियाली में, तेरे ही गुण गाता हूँ
ना जाने क्यों बिन तेरे, मैं ये धुन गुनगुनाता हूँ
जीवन में जो आये तुम, संग मेरे ही अब चलना
मद्धम पुरवाई के झोंको सी, मेरे ही अंगना में रहना
जो तुम आये संग मेरे, जीवन ने कुछ गीत गाये
हर पल अब मैं, तेरी ही धुन गुनगुनाता हूँ
सावन की हरियाली में, तेरे ही गुण गाता हूँ
ना जाने क्यों बिन तेरे, मैं ये धुन गुनगुनाता हूँ||
Comments
shuruaat achhi thee magar ant mein phir vahi prashno ke dher, thodi shailee sudhaar lo…..maante hein hum nahin likh sakte, lekin tumhein to sudhaar lane ke liye bol sakte hein chhote