शत्रु का उन्माद

हिमालय की चोटी से शत्रु ने ललकारा है
आज बता दो बल कितना है भारत माँ के वीरों में
सीमा लांघ शत्रु चढ़ आया आज तुम्हारे द्वारे
मचा रहा इस धरती पर वो उद्दंड उत्पात

रणक्षेत्र में हुआ कोलाहल जागो भारत के वीरों
जाग अपनी निद्रा से भारत माँ की पुकार सुनो
लगा हुंकार रण की शत्रु ने तुम्हें ललकारा है
कर्णभेदी तोपों से उसने धरती का सीना चीर है

पंजाब में मचा उत्पात, संसद पर किया आक्रमण
गुजरात में कर हिंसक कृत्य, मुंबई का बहाया लहू
बाँट काश्मीर को धर्म के नाम पर, युद्ध का उन्माद किया
हिमालय की चोटी से आज फिर रण को ललकारा है

उठो भारत माँ के वीर सपूतों, बता दो आज शत्रु को
बल कितना है धरा के वीरो में, शत्रु को ये जता दो
याद उसे दिला दो कि हर बार उसने मुंह की खाई है
सन अडतालीस से कारगिल तक जग में हुई उसकी हंसाई है

आज बता दो उसको, बल भारत माँ के सपूतों का
आज चेता दो उसको रण क्षेत्र का सन्नाटा
दिखा दो उसको कितना बल तुम्हारे बाजुओं में है
जतला दो कि इस माटी को छूने वाला माटी में मिल जाएगा

उठो भारत माँ के सपूतों कि शत्रु ने आज ललकारा है
मचा युद्ध का कोहराम, रणक्षेत्र से तुम्हें पुकारा है
आज बता दो उसको की वो सदैव ये याद रखे
प्रयत्न कभी किया काश्मीर में, लहू के वो सागर पाएगा

पावन इस धरा पर अपने उद्दंडता पर पछताएगा
इस माटी पर जहां पैर रखेगा, वहीं ढेर हो जाएगा
हर बार हमसे टकरा कर वो चूर चूर हो जाएगा
इस माटी को छूने वाला माटी में मिल जाएगा




Comments

  1. Rebellion

    baarud bahut dekha, dekhi unsase dher hui lashein
    ae khuda kaash tu mera saath deta
    doodh yaad dila dete unko chhati ka
    ki naa jaane kis ghadi mein bulaava aaaya tera
    naa mein desh ka raha naa pahuncha tere darr

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *