Month: May 2012

फिर कभी

आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेलेआज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसेलफ्ज़ नहीं हैं आज हमारे पास बयां करने कोफिर कभी सुन लेना बेवफाई का सबक हमसेआज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसेकि नहीं है पैमाना आज दर्द का पास हमारे ना जाने क्यूँ जिंदगी में हम यूँ जीते आये हैंना करना …

मधुशाला में पाठशाला

घर से निकला था मैं जाने तो पाठशालापर रास्ते में ही मिल गई मुझे मधुशालामधुशाला में जा बैठा मैं भर अपना प्यालातभी देखी शिव पर चढती एक मालादेख शिव की प्रतिमा मधुशाला मेंखोजने चला मैं सत्य की राह मेंपहुंचा फिर मैं मधुशालाबहुत खोजा सत्य पर मुझे ना मिलाफिर बैठ मधुशाला में भर अपना प्यालाजो घूँट …

ना जाने क्यों

जब कभी सोचता हूँ में तुम्हारे बारे में बस खो सा जाता हूँ तुम्हरे ही ख्यालों में ना जाने क्यूँ फिर ख़्वाबों में तुम हो होती हो ना जाने क्यों लबों पे तुम्हारा ही नाम होता है कि आज ना तुम हो ना ही तुम्हारा पैगाम  फिर भी क्यों आब-ऐ-तल्ख़ पर नाम  तुम्हारा है कुछ …

नेतन का अभ्यास

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजानरसरी आवत जात ही सील पर होत निसान पर हमरन नेता को देखा बाकितना का कोसिस करे बाउनका ना कबहूँ ज्ञान मिलेना उनका कबहूँ समझ आवेजभइ देखो उनका लगे पैसा दाबनेजभइ देखो उनका लगे बिदेश भ्रमण करनेलोगन को खाने को दाना नहीं हैउनका खाने तो पैसा चाहीलोगन को पीने …

जीवन प्रण

धीर धर बैठे हैं धरा परबादलों की ओढ़ चादरना अब चाह है सुरबाला कीना है कोई चाह मधुशाला केअधरों पर अब है देव मंत्रमष्तिष्क में है निर्मोह का तंत्रसाधू बन कर रहे हैं तपस्याना है अब जीवन में कोई आसअटल है अब मेरा ये प्रणनहीं हारना है जीवन रणबहुत बहा नैनों से नीरबहुत हुआ जीवन …

तलाश-ऐ-जिंदगी

हम जिंदगी की तलाश में जिंदगी को खो बैठेनिकले थे प्यार की तलाश में, खुद को ही खो बैठेअज़ाब-ऐ-इश्क से दूरखुशियों को तलाशते थेआज हम खुशियों से दूर हो गएतलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए लबों पर लेकर तेरा नामख्वाब में करके तेरा दीदारना हुआ ये एहसास हमेंकि दर्द दिल में दर्द का सैलाब …

तेरे नैनो की ये भाषा

तेरे नैनो की ये भाषालज्जा की हो जैसे परिभाषाकोई जाने ना क्या है इनका संदेशाकोई जाने ना कैसी है इनमें याचना अंतर्मन में सुर तेरे ही नाद करेंह्रदय में तेरे ही गीत गुनगुनाऊंतू जो रहे साथ मेरे इस जीवन मेंमैं तेरे ही गीत गाऊंतू सुनती रहे ऐसे गीत मैं गाऊंतेरे नैनो की ये भाषा, जाने …

क्या थी खता

गर धडकन ही बंद करनी थीतो इस पत्थर को दिल क्यों दियागर अंधेरों में तन्हा छोड़ना थातो जिंदगी में उजाला बन आई क्यों क्या खता थी हमारी कि ये सिला दियाबन मोहब्बत आई मेरी जिंदगी मेंऔर तन्हाई का दामन थमा गईग़मों से तू मेरी जिंदगी डुबो गई इश्क में हमने कभी सौदा ना कियाऔर सौदे …