Month: July 2012

माँ ना दर्शन

आज मन माँ ना दर्शन जोवे छे रे माँ ना दर्शन जोवे छे माँ रे दर्शन माटे आ मन होवे रे रे माँ ना दर्शन माटे आ मन होवे माँ ना दर्शन नी धुन मने लागी रे रे धुन मने लागी माँ ना दर्शन सुख में आ मन तडप्यो जे माँ रे दर हूँ चाल्यो …

कुछ वो दिन थे

न जाने कहाँ वो गुम हो गई है कि जिंदगी में एक खालीपन सा लगता है  तन्हाई में उसका अक्स नज़र आता है आज हर पल उसका इन्तेज़ार सा रहता है कुछ वो दिन थे की लबों पर वो थिरकती थी आज हर लम्हा उसकी याद दिलाता है कुछ वो दिन थे की चेहरे पर …

रे मैं तेनु वेंखया

रे मैं तेनु वेंखया जद ये आँखां हुई नम रे मैं तेनु वेंखया जद ये सांसां हुई बंद नाम मैं तेरा लेते लेते कर गई खुद से जुंग  नाम मैं तेरा लेते लेते हार गयी अपनी जंग इश्क में तेरे अपना हर सुख तज गयी मैं इश्क तुझसे करके मैं बण गयी रांझणा तेरी हीर नाम तेरे …

जीवन द्वन्द

खड़े जीवन दोराहे पर हमकिस ओर जाएँ हमएक ओर है कर्म क्षेत्रदूजी ओर है धर्मं का निवासजीवन के इस दोराहे पर मचा है ह्रदय में ऐसा द्वन्द गीता का उपदेश है कहताकर्म क्षेत्र की ओर है बढ़नारामायण का सार है कहताधर्मं क्षेत्र में चुकाना है ऋणमष्तिष हो चला है अब मूढ़प्रश्न है जटिल और गूढ़ आज …

वर्षा से धरा ने श्रृंगार किया

अम्बर में जब छाए काले मेघा प्यासी धरती को एक आस लगी बरखा की बूंदे जब सिमटी आँचल में  धरा की अपनी प्यास बूझी जन जन में उल्लास उठा हर ओर एक उन्माद दिखा बूंदों ने जब सींचा जड़ों को वृक्षों ने भी श्रृंगार किया देख धरा के वैभव को मयूर ने भी नृत्य किया …

मानव जीवन का प्रश्न

दिवस के प्रथम प्रहार में सूरज अंधियारा हरता है पर मानव के जीवन में  हर क्षण मानव ही मरता है भोर भये आँगन में  पंछियों का स्वर घुलता है पर मानव के जीवन में  हर क्षण कोलाहल ही गूंजता है ब्रह्म मुहूर्त से गोधुली वेला तक मानव के कर्म का चक्र चलता है पर मानव …

चंद सवालात

लम्हात उस शाम कुछ अजीब थेअफ़सुर्दा उन लम्हात में हम थेमुलाक़ात कुछ उन लम्हात में हुईजिंदगी जब हमसे रूबरू हुई  मंज़र-ऐ-उल्फत में जो मुलाक़ात हुईजिंदगी चंद सवालात हमसे यूँ कर गईकि ना कोई जवाब था हमारे पासना हमें इल्म उनके जवाबों के वजूद का चंद सवालात ऐसे पूछे जिंदगी नेकि मेरा वजूद सिहर उठामेरा वजूद …