वर्षा से धरा ने श्रृंगार किया

अम्बर में जब छाए काले मेघा
प्यासी धरती को एक आस लगी
बरखा की बूंदे जब सिमटी आँचल में 
धरा की अपनी प्यास बूझी
जन जन में उल्लास उठा
हर ओर एक उन्माद दिखा
बूंदों ने जब सींचा जड़ों को
वृक्षों ने भी श्रृंगार किया
देख धरा के वैभव को
मयूर ने भी नृत्य किया
खुशहाली हर ओर छायी
पंखियों ने भी कोलाहल किया
अम्बर में जब छाये मेघा
धरा पर उसका आभास हुआ
ग्रीष्म ऋतू से प्यासे पपीहे ने भी
वर्षा की बूंदों को ग्रहण किया
उल्लासित जन जन ने 
हर्ष में नवजीवन का स्वागत किया
अम्बर पर जब छाये मेघा
धरा ने श्रृंगार किया
खेतों में चले हल
नयी उपज का अंकुरण हुआ
उल्लासित जन जन ने 
वर्षा में हर्षित नृत्य किया||

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *