कुछ वो दिन थे

न जाने कहाँ वो गुम हो गई है
कि जिंदगी में एक खालीपन सा लगता है 
तन्हाई में उसका अक्स नज़र आता है
आज हर पल उसका इन्तेज़ार सा रहता है
कुछ वो दिन थे की लबों पर वो थिरकती थी
आज हर लम्हा उसकी याद दिलाता है
कुछ वो दिन थे की चेहरे पर उसका नूर था
आज बारिश की हर बूँद उसके याद दिलाती है
न जाने कहाँ गुम हो गई है
कि दिल हर पल उसे ही खोजा करता है
न जाने आज क्यूँ हर पल
यूँ जिंदगी में मायूसी से रहती है

कुछ वो दिन थे ज़िंदगी के जिनमें 

हर पल मैं मुस्कुराता था
आज न जाने कहाँ बेवफा मेहबूबा सी
मेरी मुस्कराहट मुझे तन्हा छोड़ चली

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