Month: September 2012

चंद मुक्तक

राजनीति के अखाड़े में मिले कुछ नेता मिल कर वो बन गए देश के क्रेता कहते हैं आज वे खुद को भारत माँ के पूत घोटालों का नाम ले बन गए अशांती के दूत|| __________________________________________ काल का ग्रास बना है आज मेरा देश दानव घूम रहे यहाँ ले कर मानव का भेष हर ओर आज …

नेताओं की अठखेलियाँ

चंद नेता चंद बोलियाँ  देखो संसद में इनकी अठखेलियाँ ना इनकी कथनी में दम है ना दम है इनकी करनी में पांच साल में ये एक बार दिखते घर घर आते वोट मांगते झुक झुक कर नमस्कार करते देश की तरक्की का दावा करते जीत कर जब ये सरकार बनाते घोटालों की फेरहिस्त बनाते भर …

राजनीतिक अराजकता

कुछ कथनी कुछ करनी का है ये फेरा राजनीति में आज पड़ा है नासमझों का डेरा कोयले की दलाली में किये इन्होने हाथ काले इंधन का भाव बढ़ा, पड़ गए खाने के लाले फिर हुई कुछ इस प्रकार की हलचल  दीदी ममता तक गई मचल त्याग मोह सत्ता का, किया ऐसा फेरबदल की मुलायम ने …

कन्या भ्रूण हत्या

Few Lines Written to Oppose the Female Foeticide…..They may sound a bit haphazard, but they are the feelings that make me respect Women and Support the Cause to be Against Female Foeticide. अम्बा, अम्बे, अम्बालिके गौरी, सती, पार्वती महालक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री ये सभी भी तो हैं देव स्वरुप स्त्री इनकी जब करते पूजा क्यों करते इनके …

इंतज़ार-ऐ-पैगाम

बहुत इंतज़ार किया उनके पैगाम का पैगाम आया भी वक़्त गुजरने के बाद हसरतें बहुत जागी उनसे मिलने की वो आये भी तो मय्यत निकले के बाद ना जाने बेरहम वो किस कदर हो गए हमारे इश्क को बेगैरत कर गए ना जाने मगरूर किस खुमारी में हुए कि हमारी चाहत को जार जार कर …

देश की पुकार

आज मुझे मेरा देश पुकारे  कहे मुझसे तू मेरे पास मेरे दुलारे जुड़े मुझसे उस अमिट इतिहास को देख देख तू इसमें बसी पित्रादर की छाया सुन तू प्रेम की मधुर वो झंकार सुन तू अम्बर में छाए मेघों का मल्हार मेरा देश मुझे रह रह पुकारे  कहे बरखा की बूंदों के सहारे निहारता था …

यादें पुरानी

बैठा तन्हा दिल की किताब खोलकर पलट रहा हूँ कुछ पन्ने उसके कुछ यादें पुरानी आयी सामने मेरे कुछ तसवीरें फिर आई नज़र  उन तस्वीरों में कहीं दबी है  उन यादों में कहीं दबी हैं एक याद, एक तस्वीर तुम्हारी कसक जिसकी जवाँ है इस दिल में यादें जो जुडी हैं तुझसे  पल वो जो …