वह बोला कि दो जून रोटी है उसकी अभिलाषा
बैठ पास उसके मैंने उसे समझाया बहुत
कर परिश्रम पाए पारिश्रमिक समझाया बहुत
था वह अपनी करनी पर अडिग
पूछ बैठा वह प्रश्न अत्यंत ही जटिल
ना मुझे कुछ सूझा ना मति ने कुछ सुझाया
ना ही मेरी बुद्धी में ने वह प्रश्न बुझाया
कुछ ऐसा तथ्य था उसके गूढ़ प्रश्न में
बहुत समय व्यतीत किया मैंने चिंतन करने में
प्रश्न कुछ ऐसा था उस भिखारी का
जुड़ा था कुछ सत्य उसमें नेताओं का
पूछा उसने मुझसे जो मैं पूछता हूँ सबसे
अंतर हुआ भिखारी और नेताओं में कब से
भीख मांगते हैं भिखारी भी दर दर जाकर
मत माँगते हैं नेता भी घर घर आकर
झोली भिखारी भी भरता अपनी मांग मांग कर
घर अपना ही बनाते ये नेता मत मांग मांग कर
प्रश्न है ये एक ऐसा गूढ़ जिसका उत्तर है जटिल
कार्यशेली तो एक सी है दोनों की किन्तु कार्यस्थली विभिन्न
कार्यक्षेत्र में है भिन्नता, किन्तु उद्देश्य एक ही
एक मांग कर भोजन खाता है, तो दूसरा मांग कर देश।।