बैठा तन्हा दिल की किताब खोलकर
पलट रहा हूँ कुछ पन्ने उसके
कुछ यादें पुरानी आयी सामने मेरे
कुछ तसवीरें फिर आई नज़र
उन तस्वीरों में कहीं दबी है
उन यादों में कहीं दबी हैं
एक याद, एक तस्वीर तुम्हारी
कसक जिसकी जवाँ है इस दिल में
यादें जो जुडी हैं तुझसे
पल वो जो साथ बीताये तेरे
आज भी याद हैं मुझे हर वो लम्हा
जो गुजरा तुझे ले कर बाहों में
आज भी कसक जवाँ है इस दिल में
एक खलिश सी आज भी है इस दिल में
सोचता हूँ कैसे तुझे ले बाहों में
फ़र्ज़ अदा करूं वालिद का
दूरियां ये तुझसे है मेरी मजबूरी
तन्हाई बसर करती है ज़िन्दगी में मेरी
बेटी है तू मेरी अपनी इतनी प्यारी
फिर भी किस्मत में लिखी है ये दूरी||