Month: September 2012

आज जाने की जिद्द ना करो

आज यूँ जाने की जिद्द ना करो कि राहे ज़िन्दगी से यूँ जुदा ना करो कल की सुबह किसने देखी है  कल तुम शायद हमें ना पहचानो कि आज जाने की यूँ जिद्द ना करो हमें अपनी जुल्फों के साए से यूँ दूर ना करो बेताब बड़ी है ज़िन्दगी आज की रात कि आज की …

भिखारी का प्रश्न

बाज़ार में घुमते घुमाते मिला मुझे एक भिखारी  देख मुझे उसने खाने की लगाईं गुहारी  पूछा मैंने उससे कि है क्या उसकी मंशावह बोला कि दो जून रोटी है उसकी अभिलाषा बैठ पास उसके मैंने उसे समझाया बहुतकर परिश्रम पाए पारिश्रमिक समझाया बहुतथा वह अपनी करनी पर अडिगपूछ बैठा वह प्रश्न अत्यंत ही जटिल ना मुझे कुछ सूझा …

देश की मांग

कहते हैं आज के ये नेता भर के अपनी झोली  पेट भरने के लिए लगाओ 32 की बोली  समझ नहीं आती मुझे इनकी यह पहेली  सुन कर पक्ष उनके मेरी अंतरात्मा भी दहली  खाने को जिस ग्राम में नहीं मिलती रोटी  उस ग्राम के घर घर में मांगते ये मत की बोटी  देते दिलासा दिखा …

सरकार की बिजली की माया – प्रथम प्रयास

चला जब में जीवन डगर में  दिखा सर्व ओर अँधियारा मुझे तभी दिखी दूर मुह्जे रौशनी बढ़ चला में उसी दिशा में पास पहुँच देखा मैंने  रौशनी थी वहाँ लालटेन की चारो ओर उसके थे बैठे बच्चे पढ़ रहे थे अपने पाठ जो पूछा मैंने उनसे क्या है उनका ध्येय बोला एक नन्हा मुझसे दिन में …

सरकार की बिजली की माया

चला जब में जीवन डगर में  दिखा सर्व ओर अँधियारा मुझे तभी दिखी दूर मुह्जे रौशनी बढ़ चला में उसी दिशा में पास पहुँच देखा मैंने  रौशनी थी वहाँ लालटेन की चारो ओर उसके थे बैठे बच्चे पढ़ रहे थे अपने पाठ जो पूछा मैंने उनसे क्या है उनका ध्येय बोला एक नन्हा मुझसे दिन में …

बेमुरव्वत

और भी हैं दुनिया में गम फिर भी दिल तेरे गम में है डूबा और भी हैं चाहतें हमारी फिर भी हम तेरी चाहत से जुदा हैं ना जाने कौन सी कायनात में रहते हैं कि हर पल तेरे ही वजूद का एहसास है ना जाने किन पलों में खोये रहते हैं कि हर पल …