Month: October 2012

तेरा आना

कितने आंसू कितने दर्दभरे ज़िंदगी ने मेरे दामन मेंना कोई हिसाब है इनकाना ही है ज़िंदगी को गुमां जाने किस कदर बीते वो पलजाने कौन घड़ी हुए वो रुखसतकि हमें यह गुमां भी ना हुआकि जाने कब बीत गए बरसों दर्द भरे दामन में ज़िंदगी केतन्हाई बसर जो करती थीकि मानो बुला रही वह मौत कोकि जैसे फैला …

भारतीय वायुसेना को नमन – Dedicated to Indian Airforce

 नभःस्पृशं दीप्तम् ————————————————————- आसमां की ऊँचाई से ना वो डरते हैं ना आसमां की ऊँचाई में वो खोते हैं वो तो सिर्फ आसमां की ऊँचाई को छू देश की रक्षा में ज़िंदगी कुर्बान करते हैं नहीं डरते हैं ऊँची तन्हाइयों से ना ही डरते हैं परिन्दो से ऊँचा उड़ने से ना उन्हें खौफ है दुश्मनों …

कवि की द्विविधा – Poet’s Dilemma

विलुप्त हो गए जाने कहाँ शब्द सूख गयी मेरी कलम की धारा जाने कहाँ कहाँ विचर रहा मेरा मन क्यों न फूंक रहा ये मेरी कविता में जीवन सुबह सवेरे जब उठता हूँ सुन चिडियों की तान लगता है जैसे भर गया हो नवजीवन में प्राण पर जब बैठता हूँ लिखने मैं कविता ना जाने …

गरीब

दौलत से तो हूँ मैं गरीबपर हूँ खुदा के इतना करीबजानता हूँ क्या है इंसानियतपरख लेता हूँ मैं हैवानियत दो गज ज़मीन पर सोता हूँदो जून रोटी से गुज़रा करता हूँमहंगाई मुझे क्या सताएगीमैं तो अपनी ही किस्मत का मारा हूँ सर्द हवाओं के झोंकों मेंदर अपने बंद करता हूँबरसात की बूंदें ना आएयह सोच …

अभिव्यक्ति – The Expression

कहाँ चला था करने मैं अभिव्यक्ति छीन गयी है मेरी हर शक्ति चेष्टा हुई, अपनाई मैंने भक्ति किन्तु रह गई अधूरी मेरी अभिव्यक्ति कहा जिसे, उसने कर दी अनसुनी बन के सामने मेरे एक अज्ञानी बहा कर भी मैं अपना रक्त ना कर सका अपनी भावना व्यक्त चला था मैं करने अभिव्यक्ति किन्तु ना मिला …