रजनी तोरे आँचल में जो चांदनी खीली
लगे जैसे मोहे मोरी सजनी मिली
आवन से तोरे उसके आवन का होए आभास
जैसे अम्बर में हो चाँद का प्रकास
रजनी तोरे आवन से सजनी का जोवन भरा
रजनी तोरे आवन से सजनी का साथ मिला
कहें तोसे का कि तोरे रूप में हमका
हमरे जीवन भर का साथ मिला
तोहे जग निशा कहे
तोहे कहे कोई रात
पर जब कोई रजनी कहे
तो मन को भाये जे बात
आवन से तोरे मिले मोहे चैना
आवन से तोरे मिले मोहे वो रैना
जिन रैन मिले मोहे जीवन सुख
जिन रैन करे सजनी मोरी ओर मुख
कि का कहें रजनी तोरे आवन से
चन्दा की चांदनी खिले
लगे जैसे मोहे मोरी सजनी मिले
भर रस जीवन में मोहे सब सुख मिले||