रजनी का श्रृंगार

कारी कारी अंधियारी रात में
जब उजियारा फैले चंदा का
अंगना में एक बहार आए
सजना को सजनी भाये
चांदनी में जो रूप खिले रजनी का
श्रृंगार करे सजनी अपने साजन का
मनभावन जो उजियारा भरे चांदनी
सजना को दिखे मनमोहक सजनी
कारी कारी अंधियारी रात में
जब गगन में छाए चंदा
साजन भर बाँहों में सजनी को
अपने प्रेम का पाठ पढ़े
चांदनी में सजनी दमके ऐसे
मानो कनक जैसे दिखे सावन में
मनभावन जो उजियारा भरे चांदनी
श्रृंगार मानो करे रजनी||

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