Month: October 2012

इल्तेज़ा-ऐ-ज़िन्दगी

वक़्त ने किये जो सितम सहते आए हैं हम ज़िन्दगी ने दिए जो गम भूल ना पाएंगे हम खलिश सी है इस दिल में नाम-ऐ-मोहब्बत की खुमार है हमारी ज़िन्दगी में गम-ऐ-जुदाई का आए हो जो तुम ज़िन्दगी में दिल में है जागी एक ख्वाहिश ना बेआबरू करना हमें तुम ना सरे राह छोड़ जाना …

आशियाँ हमारा न लुटाओ

अन्दाजें बयान गर सुना चाहते हो तो ज़रा अपनी नज़रें झुका कर सुनो अंदाजे बयान गर चाहते हो तो आवाज़ ज़रा नीचे कर बोलो सैलाब शब्दों का ना उठाओ  कि कहीं मंजिल तुम्हारी ना ढह जाए चिलमन जनाज़े का ना उठाओ कि मोहब्बत तुम्हारी बेगैरत ना हो जाए बयान गर कुछ किया चाहते हो तो …

काव्य कल्पना

कल्पना की डोर थामेंशब्दों की माला पिरोयेकविता की पंक्तियों मेंकाव्य का आगमन हुआ काव्य के आगमन सेकवि की कल्पना मेंशब्दों की माला पहनेसजनी आभास हुआ सजनी के आभास सेउसके श्रृंगार मेंउसकी मधुर मुस्कान मेंनवजीवन का आरभ हुआ नवजीवन के आरम्भ सेकवि के श्रजनात्मक रूप सेनारी के श्रृंगार से काव्य की कल्पना का प्रारंभ हुआ||

ईश्वर तेरी माया

उन्मुक्त जीवन जीने की चाह में चल दिया मैं पैसा कमाने भूख प्यास सब भुला दिए मैंने चल दिया मैं ऐश्वर्य कमाने पैसे की अंधाधुंध भूख में ऐश्वर्य की अंधभक्ति में  भूल बैठा मैं अपना ध्येय खो बैठा मैं सबका श्रेय ना जाने किस पल अपनों से दूर हुआ ना जाने किस पल मैं विलीन …

शुक्रगुज़ार हैं खुदा के

जाने क्या बात हुई जब उनसे नज़रें चार हुई अजब सी बेचैनी थी दिल में जब उनसे मुलाकात हुई ना जाने क्यों दिल में कसक उठी मानो बरसों की तड़प जाग उठी ना जाने क्यों दिल उदास हुआ ना जाने क्यों ये निराश हुआ पूछा जब हमने दिल से तो कहा कुछ यूँ उसने कि …