बात तुम्हारी

बात जब तुम्हारी आती है 
मुझे हर बात वो प्यारी लगती है 
नाराज़ भी गर तुम होती हो
मुझे फिर भी प्यारी तुम लगती हो
जाने अनजाने में हर वक़्त
तुम सिर्फ प्यार करना जानती हो
शर्मोहया के लिहाफ से भी तुम
सिर्फ प्यार का पैगाम भिजवाती हो
ज़िंदगी के हर पल हर लम्हे में 
अपनी पाक मोहब्बत दिखलाती हो
बात जब तुम्हारी आती है 
हर बात मुझे प्यारी वो लगती है
सज संवर कर जब तुम इठलाती हो
बहार-ऐ-चमन सी खिल जाती हो
बात जब तुम्हारी आती है 
मेरे दिल में बसर कर जाती है
इश्क-ऐ-महफ़िल हो तुम मेरी
जान-ऐ-वफ़ा बनती जाती हो
शर्मोहया के लिहाफ से भी तुम
सिर्फ प्यार का पैगाम भिजवाती हो||

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