दिन आज निकला है कुछ अजीब
भूल सा गया हूँ मैं अपनी तहज़ीब
दिल करता है कुछ ऐसा करूँ
कि साथ तेरे कुछ खुराफात करूँ
अपनी मशरूफियत में तू मुझे भुला ना दे
आज मैं कुछ हरक़त ऐसी करूँ
दिल में तेरे जज्बा मेरा बना रहे
आज मैं खुराफात कुछ ऐसी करूँ
ना जाने किस पल में आज तू चली
जाने किस पल आयेगी तू मेरी गली
पर है जिस पल तू साथ मेरे
उस पल, दिल कहता है मैं खुराफात करूँ
भूल दुनिया की हर तहजीब
आज मैं खुराफात करूँ
भुला दुनिया की हर रीत
दिल करता है मैं खुराफात करूँ।।
Comments
Sir in one line I would say…. "I am impressed "