चंद् मुक्तक – २

देश के नेता जब हो चोर
तो कैसे ना हो संसद में शोर
हर पल लूटें जो देश की अस्मत
तो कैसे जागे नागरिकों की किस्मत
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जहाँ न्यायपालिका करे उनकी रक्षा
जहां न्यायाधीश मांगे उनसे भीक्षा
जहाँ मिले उनसे गुंडों को दीक्षा
कैसे बने वहां नागरिकों की आकांक्षा
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जहाँ देश के नेता करें बलात्कार
ना सुने न्यायपालिका चीत्कार
कहाँ लगाये फिर हम गुहार
कौन सुनेगा नागरिकों की पुकार
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अस्मत जब देश की ही लूट चले
बेटियों की अस्मत से जब वो खेलें
कहाँ जाएंगे लगाने हम पुकार
किसकी हम करेंगे यूँ गुहार||

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