जीवन के हर पल मैं गहराइयों में उतर जाता हूँ तेरी बाहों में अपनी दुनिया बनाये जाता हूँ तू पास रहती है तब तुझमें खो जाता हूँ दूर तू जब होती है, और तेरा हो जाता हूँ हस पल जीवन का मैं तेरा बन रहता हूँ तेरे टेसुओं में अपनी दुनिया सजाता हूँ पास रहती …
Month: January 2013
विगत दिनों में जो घटित हुआ, उससे मन बड़ा ही आहत हुआ| चंद् विचार मन में ऐसी आये कि एक कविता का सृजन हुआ करती है कविता एक स्त्री के विचारों का उदगार कि हुआ कैसे उसके औचित्य का प्रचार…. _________________________________________________ माँ की कोख में सोती जब मैं जग मुझे चाहे मारना जब ले जन्म आऊँ …