जीवन बरखा बन तुम आयी
संग अपने खुशियों की बौछार लायी
सूखे बंजर मेरे जीवन में
तुम अपने सपनो का श्रृंगार लायी
सजा संवार उन सपनो को
जीने चला हूँ मैं अधूरे जीवन को
तुम्हारे हंसी की बौछार से
हरित करने चला हूँ जीवन बगिया को
समेट अपनी सारी शक्ती
करनी है अब जीवन भक्ती
संग तुम्हारे अब जीना है जीवन
आत्म शोषण का करना है दमन
बहुत कर ली हमने जनसेवा
जीना है अब प्रेम के रैना
अब आई हो तुम जीवन बरखा बनकर
रखना है संग तुम्हारे जीवन संवार कर||