Month: April 2013

सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी

एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी में एक तलाश फिर भी अधूरी सी है तू हिस्सा है हमारी ज़िंदगी का फिर भी तुझसे ये मुलाक़ात अधूरी है जान कर भी तुझे जान ना पाए हम तुझे चाह कर भी समझा ना पाए हम एक मंजिल तय की हमें तुझे पाकर एक मंजिल अभी तय करनी …

माँ तो माँ है

कासे कहूँ मैं अपनी विपदा कासे कहूँ मैं अपनी पीड़ा ममत्व तो ममत्व है  कासे कहूँ मैं उसका महत्व माँ से मैं जुड़ा हूँ भावों में माँ से में करता हूँ अपनी बातें कासे समझाऊं तोहे मैं  माँ से है मेरा अपना नाता का कहूँ तोसे मैं अपनी व्यथा ना तोहे समझनी ये गाथा माँ …

मुलाक़ात

मुलाकातों का सिलसिला तो इस कदर ही होता हैमिल कर भी ना मिलना अपना नसीब होता हैबातों के सिलसिले में जब जिक्र उनका होता हैतो उनसे मुलाकात को, दिल और भी बेचैन होता है||

संसार का हाल

हो रही धरा की धरोहर जार जार स्त्री का हो रहा हस ओर बलात्कार सहिष्णुताहीन हो गया है ये संसार घृणा और पाप का लगा है हर ओर अम्बार हलाहल अपमान का पी रहे देव भी दानव कर रहे हर ओर राज सांसारिक मोह में लीं है मानव भी दे रहा दानवों को वो करने …

संग उसके

संग मेरे वो जो होती है लगता है मुझे ये जग न्यारा लगता है हर पल मुझे प्यारा समय बीत जाता है पलों में सारा जब वो नहीं होती संग मेरे मष्तिष्क में उसकी ही छवि होती है जब कहीं बातें उठती हैं  बिन उसके कोई बात समाप्त नहीं होती संग उसके ही दिन चढ़े  …

दिल तन्हा है

आज फिर दिल तन्हा है तेरे साथ भी तन्हा तेरे इन आंसुओं में डूबा फिल आज फिर तन्हा है जाने जैसे तुझे बताऊ कि तेरे इश्क में सराबोर दिल आज फिर तन्हा है तेरे साथ को तरसता  दिल आज फिर तन्हा है कैसे तुझे मैं यकीन दिलाऊं  कि हर पल मैं तुझे चाहता हूँ तेरे …

तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो

मेरी ज़िन्दगी में गर है अब  तो वो तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो ज़िन्दगी में गर कोई हो  तो खुदा करे वो तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो  आलम-ऐ-ज़िंदगी में अब गर चाहते हैं किसीको तो ऐ जान-ऐ-वफ़ा वो तुम्ही हो, तुम्ही हो तुम्ही हो गम-ऐ-ज़िंदगी से परे साथ जिसका चाहते हैं तो ऐ …