संग मेरे वो जो होती है
लगता है मुझे ये जग न्यारा
लगता है हर पल मुझे प्यारा
समय बीत जाता है पलों में सारा
जब वो नहीं होती संग मेरे
मष्तिष्क में उसकी ही छवि होती है
जब कहीं बातें उठती हैं
बिन उसके कोई बात समाप्त नहीं होती
संग उसके ही दिन चढ़े
संग उसके ही हर सांझ ढले
यही आस लिए
मैं दर दर जाता हूँ
निवास उसका ही है मेरे विचारों में
कि जीवन यापन करूं उसके संग मैं
संग उसके लगता है मुझे जग न्यारा
संग उसके लगता हर पल मझे प्यारा||