कासे कहूँ मैं अपनी विपदा
कासे कहूँ मैं अपनी पीड़ा
ममत्व तो ममत्व है
कासे कहूँ मैं उसका महत्व
माँ से मैं जुड़ा हूँ भावों में
माँ से में करता हूँ अपनी बातें
कासे समझाऊं तोहे मैं
माँ से है मेरा अपना नाता
का कहूँ तोसे मैं अपनी व्यथा
ना तोहे समझनी ये गाथा
माँ तो माँ है, है वो अपनी
काहे इसमें तोरी मोरी करनी
माँ तो माँ है, है वो अपनी
उसके ममत्व ने ना कोई सीमा जानी
समझ तू अब मोरी पीड़ा
सोच में तोरी है मोरी विपदा
ना कर तू ये मनमानी
न कर गहरी तू सोच अपनी
समझ महत्व इस रिश्ते का
माँ से मोह है मोरा भावों का