चंद छंद – २

उजड़ा अगर बसना चाहे तो उसे बसा
निर्माण में अगर द्वंद्व है तो उसे जगा
चाह है अगर तुझमे बसने की है आदम
तो उठ और नाश की प्रवृत्ति से जा टकरा||

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अँधेरी रात में दिवा जलाना है तो हे आदम
उठ तू प्रकृति के तुफानो से लड़ जा
अगर है तुझमे इतना ही दम
तो उठ अपनों को साथ ले अपना हर कदम बढ़ा||

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तुफानो से अगर तू डरता है हे आदम
तो अपने घर के अँधेरे से दोस्ती कर
गर घर के अँधेरे से तू डरता है
तो उठ और तुफानो से टकराने का साहस कर||

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