जाने क्यों नहीं लगता ये दिल

जाने क्यों, जाने क्यों, नहीं लगता ये दिल
जाने क्यों नहीं गुजरता है अब दिन
राते लगती हैं सदियों सी लम्बी
जाने क्यों थम सा गया है ये वक़्त
कुछ वो दिन थे जो लम्हों से बहे
अब वो दिन हैं सदियों से लम्बे
जाने क्यों नहीं लगता कहीं अब ये दिल
जाने क्यों ढूँढता है ये वो पल
हर पल हर घडी ढूँढता है तुम्हे
बिन तुम्हारे ये भटकता है हर गली
जाने क्यों है ये बेचैन बिन तुम्हारे
जाने क्यों दुन्धता है तुम्हें ये हर पल
जाने क्यों, जाने क्यों नहीं लगता ये दिल
बिन तुम्हारे ना जाने यों बावरा है ये दिल
जाने क्यों नहीं गुजरते अब ये दिन
जाने क्यों लगती नें सदियों सी ये रातें
जाने क्यों, जाने क्यों, जाने क्यों||

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *