नहीं आसां है दर्द से गुज़रना
नहीं आसां है दर्द से बचना
ये ढूंढ ही लेता है तुमको
आशियाँ जहां भी हो तुम्हारा
समंदर की लहरों में
आसमां में उड़ते परिंदों से
काएनात के हर कोने में
दर्द तुम्हे ढूंढ ही लेता है
घरोंदा कितना भी हंसीं बनाओ
इश्क में चाहे जितने भी डूब जाओ
नहीं आसां है दर्द से बचना
कि दर्द तुम्हें कब्र में भी ढूंढ लेता है||