जीवन की डगर पर
हमराह तो बहुत मिले
जीवन की इस डगर पर
अंत तक का साथ ना मिला
मिले बहुतेरे जग में
हर किसी की थी अपनी राह
इस डगर पर साथ मेरे
ना बना कोई हमसफ़र
जीवन संध्या के पल पर
तुम मिले तो कुछ आस बंधी
कि जीवन डगर पर हमें भी
हमारा हमसफ़र मिला
सोचा था साथ तुम्हारे
जीवन अपना जी लेंगे
ना होश था की साथ तुम्हारे
जीवनकाल को खो देंगे
खो देंगे मर्म जीवन का
खो देंगे अपना सर्वस्व
जीवन संध्या के इस अर्ध में
प्राण अब ये है हमारा
साथ तुम्हें ले कर चलेंगे
कोई दुःख न होने देंगे तुम्हे
दुःख की घनघोर घटा को
हम चादर अपनी बना लेंगे
आंच ना आने देंगे तुम्हें कोई
यही हमारा निश्चय है
जीवन संध्या के इस पल में
यही हमारा निर्णय है||