चित्कार आज मष्तिस्क में है
जीवन हाला पी जाने की
कि कैसे करूँ मैं खाली ये प्याला
हो रहा कहीं नव जीवन कोपलित
ह्रदयनाद भी हो रहा इस प्रकार
नहीं रहा अब जीवन से सम्बन्ध
अश्रुओं की माला मैं पीरों रहा
पर कैसे करूँ खाली ये प्याला
राह नहीं मिलती मुझे अब
भटक गया हूँ मैं जीवन में
नहीं अब कोई ध्येय मेरा
फिर भी कैसे करूं खाली ये प्याला
कि हो रहा कोपलित एक जीवन
वह जीवन है चाह मेरी
हृदयनाद है पीने का जीवन हाला
पर कैसे करूं मैं खाली ये प्याला||