आज अम्बर में उड़तेमंजर यूँ सामने आयादेखा का धरा का जो रूपह्रदय आनंदित हुआ बादलों की चादर ओढेअम्बर से मैं चलाचादर ज्यों हटतीदेखता धरा पर तुषार धवल तुषार धवल की परतों सेदिखती वृक्षों की शाखाएंवृक्षों की शाखाओं तलेदिखती मानव बस्ती प्रकृती और मानव की रचना केदेख मेल को ह्रदय उल्लासित हुआदेख अम्बर से तुषार धवलबादलों …