कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना कहाँ गोपियों संग तू खेला बिरज में कहाँ माखन चुराई तूने गोकुल में कहाँ तूने बालपन बिताया कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना अवतरित जो हुआ तू द्वापर में कहाँ तुने अपना बालपन बिताया कहाँ तुझे मैया ने आँचल में छुपाया काल कोठारी …
Month: April 2014
All to say none to actThis all seems to be the PactAll Leaders All PartiesOnly do Electoral Sorties
तेरे नैनो की भाषा जाने ना मेरे नैन तेरे नैनो की भाषा जाने ना ना जाने क्या कहते हैं तेरे नैना ना जाने क्या छुपाते हैं तेरे नैना मेरे अंतर्मन में मचा कोलाहल ना जाने क्यों चुप हो जाते हैं तेरे नैना जाने किस घडी में क्या कहते हैं ना जाने क्यों ये अकस्मात चुप …
Its been tough and tardy Its been really hard Too much too choose from But too little are my options Too many leaders around Too much they promise Whom should I select Whom should I opt for Its too hard to decide Its too tough to accept All they do is show up When they …
बहुत खुश हो लिएबहुत कर किया गुणगानकुछ दिन और रुक जाओउसके बाद करना बखान पंजा कसो, कमल उठाओया हाथी की करो सवारीसाइकिल से यात्रा करोया कहो झाडू की है बारी चाहे कुछ कर लो तुम जनतानहीं बदलना इस राष्ट्र का भाग्यजिस दल में तुम झांकोगेभ्रष्टों का ही अम्बार मिलेगा आज ये नेता देते करोडोपाने को …
बैठ ताल किनारे दरख़्त सहारे देख रहा मैं मछरियों का खेला कैसे अठखेलियाँ वो करती कैसे एक एक दाने पर झपटती ऊपर शाख पर बैठ बगुला भी देख रहा था सारा खेला एक दांव में गोता लगा कर चोंच में भींच लेता मछरी क्षण भर के इस हमले से सहम सी जाती मछरिया गोता लगते …
कान्हा कान्हा पुकारू मैं इस कलयुग में द्वापर के युगपुरुष को ढूँढू मैं कलयुग में कह चला था कभी कान्हा “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं श्रीजाम्यहम” किन्तु आज नहीं आता नज़र कान्हा कान्हा पुकारूँ में इस कलयुग में ढूंढूं तुझे आज में पापियों भरे इस जग में अधर्मी आज हो चला …
आज याद आता है वो गुजरा ज़माना बचपन का हर वो तराना था कुछ और ही वक़्त वो जब दूरदर्शन शुरू होता था शाम को क्या वक़्त था वो 80s 90s का जब एक घर में चार नहीं चार मोहल्लो में एक टीवी होता था याद आता है आज वो ज़माना…बचपन का हर तराना वो …
बैठ धरा पर देख रहे थेस्वर्ग सा मंजरनाम ले भोले कागटक रहे थे भंग जो आनंद मिला भक्ति काजो हुआ जीवन दर्शनना था कुछ ऐसा बचाजो ना किया किसी को अर्पण निद्रगोश में जब समायेजग सारा लगा न्याराजब खुले चक्षु हमारेहुआ असल ज्ञानार्जन बैठ धरा पर ले भोले का नामभंग के रंग में किया स्वर्ग …